मास्टर चन्दर
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15
दिसंबर 1907 को सिंध के ठारुशाह में जन्म .
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पिता
- श्री आसनदास जमींदार थे । बचपन से संगीत से लगाव रहा । उन्हें चाचाजी ने कलकत्ता
से हारमोनियम खरीद कर दिया ।
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एक दिन संत कंवरराम जो महान गायक और समाजसुधारक
थे, मास्टर चंदर की प्रस्तुति देखी और भविष्यवाणी की कि यह बालक एक दिन प्रख्यात
गायक बनेगा ।
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वर्ष 1932 में मास्टर चंदर का प्रथम रिकार्ड ""
सुहिणा अर्ज आहे
"" के नाम से आया ।
· मास्टर चंदर ने जीवन में करीब 50 वर्ष गायकी को दिए ।
उन्होंने हिंदी और सिंधी फिल्मों में अभिनय भी किया । उन्होंने हिंदी फिल्म दिलारम
और मौत का तूफान में अभिनय भी किया । बहुत कम होगों को जानकारी होगी फिल्म अछूत
कन्या के लिए अभिनेत्री देविका रानी के अपोजिट मास्टर चंदर का चयन किया गया था । बाद में यह भूमिका अशोक कुमार को मिल गई ।
मास्टर चंदर एक अच्छे कवि और संगीत
निर्देशक भी थे । उन्होंने उस दौर के प्रमुख गायकों भगत कंवरराम के अलावा स्वामी
कुंदन , जीवन
भाई , अल्लाहरक्खी , भगत मोहन, जारोभगत
आदि के साथ गायन किया । मास्टर चंदर बहुत लोकप्रिय रहे और उनके कुछ गीत तो आज भी
ऐसे बच्चे गाते हुए मिलते हैं जिन्होंने न कभी मास्टर चंदर को देखा होगा न ही उनके
अभिनय से परिचत होगा ।
यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि एचएमवी कंपनी के इतिहास में 7 प्रतिशत की
रायल्टी लेने वाले मास्टर चंदर प्रथम गायक थे वरना कंपनी ने किसी को 5 प्रतिशत से
अधिक रायल्टी नहीं दी थी । मास्टर चंदर देश विभाजन के बाद मुम्बई में आ बसे ।
उन्होंने वर्ष 1955 में एक विशेष गायन कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया ।
अपने लोक प्रिय होने के कारण वे दो देशों के मध्य सेतु बने रहे । 1960 और
1970 के दशक में उन्होंने विश्व के कई देशों में प्रस्तुतियां दी । वर्ष 1984 की 3
नवंबर की तारीख को मास्टर चंदर ने आखिरी सांस ली । उनके दो बेटे महेश चंदर और गोप
चंदर भी गायन से बहुत सक्रियता से जुड़े ।
मास्टर चंदर की 9 पुस्तकें प्रकाशित हैं जो उनके संगीत गुरु काका जीवतराम मटाई , शाह साहब संगीत और लोक संगीत और आध्यात्मिक विषयों पर
आधारित हैं । एक नन्हीं बालिका की कहानी को उस दौर में गाकर मास्टर चंदर ने महिला
सशक्तिकरण के लिए उपयुक्त वातावरण बनाया जो बहुत दुर्लभ बात है ।
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