Saturday, November 7, 2015

वर्ष 1999 में सिंधी और 2014  में हिंदी कहानी संकलन। दोनों का नाम मौजूदगी। वही आवरण पृष्ठ। जयपुर में ख्यात सिंधी लेखकों  से करवाया था विमोचन। संयोग यह कि  पहले अजमेर में कथाकार श्री लखमी  खिलानी ने दादा कीरत बाबाणी  के साथ किया था विमोचन। प्रकाशक भी पुराने मित्र ज्ञान लालवाणी हैं। अधिकांश   पाठक जरूर अलग। 

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